शिक्षक दिवस विशेष
शिक्षक शब्द सुनते ही सभी के मन मे अलग अलग विचार आते होंगे परन्तु असल मायनों में तो शिक्षक किसी भी समाज की नींव है जिसके बिना शिक्षा शब्द अधूरा है। शिक्षक शब्द से हमारे मन में हमेशा सम्मान की भावना आती है एक आदर्श शिक्षक की पहचान भी ऐसी होनी चाहिए। जिस प्रकार हमारी प्रथम शिक्षिका माँ को हम सम्मान देते हैं ठीक वैसे ही सम्मान के पात्र हमारे शिक्षक भी होते हैं।
एक राष्ट्र निर्माता के रूप में शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है नन्हे नन्हे हाथों को कलम की ताकत बताते हैं। छोटे छोटे बच्चों को विभिन्न प्रकार कर खेल गतिविधियों से पढ़ाते लिखाते कभी कभी तो पढ़ाई को और अधिक बच्चों के रूचि कर बनाने के लिए स्वंम बच्चे बन जाते हैं।औऱ। भी ना जाने किन किन प्रयोगों के उपयोग करके बच्चों को स्कूलों मर सहज करते हैं जिससे बच्चा स्कूल आने में रूचि लेता है।
शिक्षक की जिम्मेदारी हर बच्चों के साथ अगल अलग होती है जैसा कि मनोविज्ञान में बताया गया है कि हर बच्चा विशेष होता है तो समझिए हर बच्चे के लिए एक शिक्षक प्रतिदिन किनती मेहनत और लगन से अपने कार्यों को अंजाम देते होंगे।
पुरातन काल में माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिये गुरुकुल मर छोड़ दिया करते थे सिर्फ एक विश्वास के सहारे जो अभिभावकों व शिक्षको के बीच होता था।ऐसा ही विश्वास आज के अध्यापको कर ऊपर करना जरूरी है।
आज शिक्षको की भूमिका पर तरह तरह के प्रश्न उठते हैं लेकिन शिक्षक कस कार्य सिर्फ वेतन लेना ही नही है। इसके विपरीत शिक्षक के द्वारा किये गए कार्यों से पूरे देश का विकास व कल्याण होता है एक शिक्षक राष्ट्र निर्माता होने के साथ साथ समाज की रीढ़ की हड्डी भी है।जिस प्रकार मनुष्य का शरीर रीढ़ की हड्डी के बिना व्यर्थ होता है उसी प्रकार देश का विकास भी शिक्षक औऱ शिक्षा के बिना व्यर्थ होता हैं।एक शिक्षक की भूमिका एक कुम्हार की तरफ होती हैं ,वह मिट्टी रुपी विद्यार्थी को लेकर विभिन्न प्रकार के ढाँचों में संजोकर भांति भांति के आकारों में ढाल देते हैं।
निष्कर्ष के रूप मे हमें शिक्षको के साथ हमेशा सम्मान भाव से पेश आना चाहिए हमारे भारत मे शिक्षको को भगवान व अभिभावकों से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है इसलिए हमें शिक्षक दिवस पर ही नही अपितु हर दिन शिक्षक का सम्मान करना चाहिए।
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